Wednesday, 6 May 2020

कोरोना के कारण सभी आयोजन रद्द, आज सिर्फ 10 भिक्षु 2564 दीपक जलाकर मनाएंगे बुद्ध का जन्मोत्सव https://ift.tt/3flIguZ

आज भगवान बुद्ध की 2564वीं जयंती है। गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था। हर साल वैशाख पूर्णिमा यानी बुद्ध जयंती पर लुंबिनी के मायादेवी मंदिर में भव्य आयोजन होते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस साल यहां सभी तरह के आयोजन निरस्त कर दिए गए हैं। नेपाल सरकार और लुम्बिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट द्वारा इस साल बहुत छोटे स्तर पर बुद्ध जयंती मनाई जाएगी। गुरुवार, 7 मई को विश्व शांति के लिए सुबह 7 बजे से जाप किए जाएंगे। शाम 7 बजे अधिकतम 10 बौद्ध भिक्षुओं और ननों की उपस्थिति में 2564 दीपक जलाए जाएंगे।

लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट के चीफ एडिमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर ज्ञानिन राय ने बताया कि इस साल महामारी कोविड-19 की वजह से बुद्ध जयंती के आयोजन और 5 से 7 मई तक होने वाले तीसरे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन को रद्द कर दिया गया है।

बुद्ध जयंती पर वर्चुअल टूर आयोजित किया जा रहा है। ये कार्यक्रम 7 मई की शाम 4-5 बजे तक होगा। इसे नेपाल टूरिज्म बोर्ड के फेसबुक पेज पर लाइव देखा जा सकेगा। इसके लिए रजिस्ट्रेशन किए जा रहे हैं। भक्तों से निवेदन किया गया है कि अपने-अपने घर पर ही प्रार्थनाएं करें।

देश-दुनिया से हजारों दर्शनार्थी लुंबिनी पहुंचते हैं।

दुनियाभर से हजारों बौद्ध आते हैं

हर साल बुद्ध जयंती पर हजारों अनुयायी लुंबिनी पहुंचते हैं। पिछले साल यहां के आयोजनों में नेपाल के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और 22 देशों से लगभग 10 हजार लोग शामिल हुए थे। इस साल कोविड-19 के जोखिम को देखते हुए नेपाल सरकार द्वारा मायादेवी मंदिर में सभी तरह के आयोजनों पर रोक लगा दी है।

लुंबिनी के इसी क्षेत्र में भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था।

यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित है बुद्ध का जन्म स्थान

बुद्ध का जन्म स्थान मायादेवी मंदिर यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित है। मान्यता है कपिलवस्तु के शाक्य राजा सुद्धोधन की रानी माया देवी ने 623 ईसा पूर्व वैशाख पूर्णिमा पर लुम्बिनी के क्षेत्र में एक पुत्र को जन्म दिया था। जिसे राजकुमार सिद्धार्थ के नाम से जाना जाता है। एक सरोवर भी है। इसके संबंध में माना जाता है कि रानी मायादेवी ने पुष्करिणी पवित्र तालाब में स्नान किया था।

पिछले साल बुद्ध जयंती पर इस तरह दीपक जलाए गए थे।

लुंबिनी में 29 साल रहे थे राजकुमार सिद्धार्थ

राजकुमार सिद्धार्थ का जन्मलुम्बिनी में हुआ था।जन्म के बाद सिद्धार्थ को कपिलवस्तु स्थित राजमहल में लाया गया था। उन्होंने अपने प्रारंभिक 29 वर्ष इसी क्षेत्र में व्यतीत किए थे।इसी दौरान उनका विवाह हुआ। फिर एक दिन उन्होंने अपना घर-परिवार त्याग दिया। बाद में राजकुमार सिद्धार्थ ही गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए।

सम्राट अशोक ने भी की थी यहां की यात्रा

भारत के सम्राट अशोक ने बुद्ध के जन्म स्थान की यात्रा की थी। यहां अशोक ने एक स्तंभ भी बनवाया था, जिसे अशोक स्तंभ कहते हैं। इस स्तंभ पर शिलालेख भी है। इस पर ब्राह्मी लिपि में बुद्ध के जन्म स्थान होने का वर्णन है। इस क्षेत्र से भगवान बुद्ध से जुड़े पुरातात्विक अवशेष भी मिले हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
All events canceled due to Corona, today only 10 monks will celebrate Buddha's birthday by lighting 2564 lamps


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2W9gE4r

Labels:

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home