दीपावली बाद दफ्तर में बातों-बातों में एअर इंडिया खरीदने का आइडिया आया; फाइनेंसर तैयार हुए तो आस जगी https://ift.tt/2VDysnl

69 हजार करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज में फंसी सरकारी विमानन कंपनी एअर इंडिया को खैवनहार मिलने की उम्मीद जगी है। दिलचस्प तरीके से वरिष्ठ कर्मचारियों का एक समूह अपनी ही कंपनी को खरीदने के लिए आगे आया है। ये कर्मचारी प्राइवेट इक्विटी फर्म के साथ सरकारी बोली में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं। बात बनती है तो देश के कॉरपोरेट इतिहास का यह पहला मामला होगा, जब किसी सरकारी कंपनी को कर्मचारी खरीदेंगे।
कंपनी के तारणहार बनने जा रहे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक के मुताबिक, ‘दीवाली के बाद एअर इंडिया मुख्यालय में चार-पांच साथी बैठे थे। सभी एअर इंडिया में 30-32 साल से नौकरी कर रहे हैं। चर्चा होने लगी कि इस बार तो दीवाली मना रहे हैं। अगली दीपावली पर एअर इंडिया की क्या स्थितियां होंगी, कर्मचारियों को क्या होगा, कुछ पता नहीं।
ज्वाइनिंग के पहले दिन के अनुभव बताते-बताते सभी भावुक होने लगे। तभी एक अधिकारी ने कहा, जिस एयरलाइंस में पूरा जीवन गुजर गया, काश इसे हम खरीद सकते! इस पर एक अधिकारी ने कहा, इतनी भारी-भरकम रकम कहां से लाएंगे। तभी आइडिया आया कि क्यों न काेई फाइनेंसर ढूंढ़कर कर्मचारी ही हिस्सेदारी खरीद लें। इस सुझाव पर सभी गंभीर हो गए।’
अधिकारी बताते हैं, ‘हमारी सोच को मानो पंख लग गए। हमने फाइनेंसर की तलाश शुरू कर दी और एक नाम पर सहमति बनी। प्राइवेट इक्विटी फर्म हमारे प्रस्ताव पर तैयार हो गई। इसके बाद एअर इंडिया के उन अधिकारी और कर्मचारी को चुना गया, जिनकी नौकरी 30 से 32 साल की हो चुकी है। इसके पीछे तर्क यह था कि पुराने कर्मचारियों का कंपनी से भावनात्मक जुड़ाव रहेगा।
वे पूरी तरह इस मुहिम में साथ देंगे। इस मुहिम से 200 से अधिक कर्मचारी जुड़ चुके हैं। सभी 1-1 लाख रुपए जुटा रहे हैं। एअर इंडिया में कुल 14 हजार कर्मचारी हैं। मुहिम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी में आज भी पोटेंशियल है। सब कुछ ठीक रहा तो दो साल में कंपनी ट्रैक पर आ सकती है।’
51% हिस्सेदारी एअर इंडिया की कर्मचारियों के पास रहेगी
बोली की पूरी प्रक्रिया कमर्शियल डायरेक्टर मीनाक्षी मलिक के नेतृत्व में पूरी की जा रही है। कंपनी के अधिकारी 14 दिसंबर को खत्म हो रही बोली प्रक्रिया में शामिल होंगे। क्वालिफाइड बिडर्स के बारे में 28 दिसंबर तक पता चलेगा। यह योजना सफल रहती है तो कर्मचारी प्रबंधन कंसोर्टियम के पास एयरलाइन की 51% हिस्सेदारी रहेगी, जबकि फाइनेंसर के पास 49% हिस्सा रहेगा।
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