लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के भीतर शुरू हो गई थी कलह; 14 माह में अंदरूनी संघर्ष हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा https://ift.tt/3jBMGQz

मई 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद ही कांग्रेस के भीतर कलह शुरू हो गई थी। जहां तत्कालीन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा और सहकारिता मंत्री ने खुले तौर पर बयान दिया था, जबकि कृषि मंत्री सादे कागज पर इस्तीफा लिखकर अचानक भूमिगत हो गए थे।
कांग्रेस में एक के बाद एक बयान के दौर चल रहे थे, जिसके बाद कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने अपील जारी की थी। पांडे ने कांग्रेसियों को बयानबाजी करने से परहेज करने की नसीहत दी थी। कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 25 सीटें हार गई थी। इसके बाद से ही कांग्रेस के भीतर असंतोष बढ़ता गया।
लगातार पनप रहे असंतोष पर केंद्रीय आलाकमान की ओर से कभी गौर ही नहीं किया गया
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने ब्यूरोक्रेसी के बहाने निशाना साधा था। यहां तक कह दिया था कि राज्य में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही। इसके कारण आम जनता परेशान हो रही है। रमेश मीणा ने कहा था कि ब्यूरोक्रेट्स हावी हैं और उन पर अंकुश लगना चाहिए।
कांग्रेस के सीनियर विधायक हेमाराम चौधरी ने तो यहां तक कह दिया था कि मैं कभी भी विधायक पद से इस्तीफा दे दूंगा। लगातार पनप रहे असंतोष पर केंद्रीय आलाकमान की ओर से कभी गौर ही नहीं किया गया, जिसका नतीजा है कि कांग्रेस के भीतर की लड़ाई सड़क पर पहुंच गई है।
दो गुट आपस में लड़ते हुए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि मान लीजिए किसी नेता का किसी पर भरोसा नहीं, तो क्या आवाज उठाने पर उसे अयोग्य करार दिया जाएगा। लोकतंत्र में असंतोष की आवाज इस तरह बंद नहीं हो सकती।
पांडे ने कांग्रेस नेताओं को बयानबाजी से रोका था
चुनाव में हार के बाद मंत्रियों और कांग्रेस नेताओं की ओर से की जाने वाली बयानबाजी के बाद प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने कांग्रेसियों के लिए अपील जारी की थी। कहा कि हमारा संघर्ष जारी रहेगा। कांग्रेस कार्यकर्ता हताश और निराश ना हों। कांग्रेस ने चुनाव हारा है, लेकिन हमारा अदम्य साहस, हमारी संघर्ष की भावना और हमारे सिद्धांतों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता पहले से ज्यादा मजबूत है।
कांग्रेस नफरत फैलाने वाली विभाजनकारी ताकतों से लोहा लेने के लिये सदैव कटिबद्ध है। कांग्रेस के नेता सार्वजनिक बयानबाजी से परहेज करें।शीघ्र ही परिणामों के संदर्भ में समीक्षा बैठक का आयोजन किया जायेगा, जिसमें सभी कांग्रेसजनों को अपने विचार रखने का अवसर मिलेगा, लेकिन बाद में किसी को बोलने का मौका ही नहीं मिला।
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