अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के 3 सर्वे में डोनाल्ड ट्रम्प पिछड़े, सिर्फ 13 राज्यों में आगे, विरोधी जो बिडेन 25 में भारी https://ift.tt/2UGDCyV

अमेरिका मेंराष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल को लेकर शंका-कुशंकाएं चल रही हैं। नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनावों के दौरान ट्रम्प के दोबारा जीत हासिल कर दूसरी बार राष्ट्रपति बनने का सपना टूट सकता है। इसकी वजह यह है कि तीन बड़े सर्वे में उन्हें दौड़ में विरोधी उम्मीदवार जो बिडेन से पिछड़ते हुए दिखाया गया है।
इनमें कहा गया है कि ट्रम्प की जीत की संभावनाएं पिछले 4 महीने में कभी भी बेहतर नहीं दिखीं। महाभियोग के मुकदमे से बरी होने के बाद उनकी रेटिंग 3 साल के उच्च स्तर पर जरूर पहुंची थी, लेकिन कोरोना संकट और जॉर्ज फ्लॉयड के मामले से निपटने के उनके तरीके ने मिस्टर ट्रम्प के राजनीतिक शेयरों को जमीन पर ला पटका।
बिडेन सहानुभूति हासिल करने के मामले में भी ट्रम्प से आगे निकल गए
कोरोना से 1 लाख से ज्यादा लोगों की मौत, 3 करोड़ लोगों की नौकरियों का नुकसान और नस्लवाद को लेकर प्रदर्शन के दौरान उनके रवैये ने विरोधी उम्मीदवार और बराक ओबामा के पसंदीदा उप-राष्ट्रपति रहे जो बिडेन को बढ़त दिला दी है। यहां तक कि बिडेन सहानुभूति हासिल करने के मामले में भी ट्रम्प से आगे निकल गए हैं। इसने दोनों के बीच बड़ा अंतर पैदा कर दिया है।
बिडेन की बढ़त का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि राष्ट्रपति पद के लिए पसंद के मामले में फरवरी में वे ट्रम्प से मामूली आगे थे। फिर ये अंतर 5% का रहा, उसके बाद 12% और जून आते-आते बिडेन की बढ़त 14% की हो गई है।
दोनों उम्मीदवारों के पास तैयारी के लिए काफी वक्त
राष्ट्रीय स्तर पर देखें, तो मौजूदा वक्त में चुनाव होने की स्थिति में बिडेन अमेरिका के 50 राज्यों में से 25 में सीधे-सीधे बढ़त ले चुके हैं, जबकि ट्रम्प सिर्फ 13 राज्यों में स्पष्ट जीत हासिल करते दिख रहे हैं। 8 राज्यों में दोनों उम्मीदवारों के मामला 50-50 है, जबकि 4 राज्यों में फिलहाल अनिश्चितता की स्थिति है। राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नवंबर में होने हैं, ऐसे में दोनों उम्मीदवारों के पास अपनी तैयारी के लिए काफी वक्त है।
वोटों का संभावित पैटर्न...
इस मॉडल से समझिए कि कैसे बदल सकते हैं चुनावी समीकरण
द इकोनॉमिस्ट ने देशभर में सर्वे, राजनीतिक स्थिति, आर्थिक तथ्य और अन्य घटनाओं को देखते हुए वोटर्स की सोच, वोट शेयर और मतदाताओं के रवैये में बदलाव को समझने की कोशिश की है। इसमें अमेरिका के 50 राज्यों से जुड़े इन तथ्यों से यह समझने की कोशिश की गई है कि कौनसे राज्य के मतदाता कैसा व्यवहार कर सकते हैं। इसके मुताबिक, एक जैसी सोच वालों के साथ जाने की संभावना ज्यादा है। जैसे ट्रम्प अगर मिनेसोटा में जीत जाते हैं, तो उनकी विस्कोंसिन में भी जीतने की संभावना बढ़ जाएगी।
वॉशिंगटन पोस्ट का सर्वे...
ज्यादातर महिलाएं बिडेन के साथ, वहीं कॉलेज छात्र ट्रम्प के पक्ष में
वॉशिंगटन पोस्ट-एनबीसी सर्वे में भी ट्रम्प पिछड़ते दिख रहे हैं। इसमें बिडेन को 50%, जबकि ट्रम्प को 42% वोट मिले हैं। महिलाएं बिडेन के पक्ष में ज्यादा हैं, वहीं ट्रम्प को कॉलेज जाने वाले युवाओं का साथ ज्यादा मिला है। चौंकाने वाली बात यह है कि 80% अमेरिकियों ने माना कि कोरोना और नस्लवाद के मामले में हालात नियंत्रण से बाहर हो गए हैं। दूसरी बड़ी बात यह है कि जिन राज्यों में ट्रम्प आगे थे, वहां भी बिडेन ने बढ़त बना ली है। ऐसे राज्यों में बिडेन को 50% जबकि ट्रम्प को सिर्फ 42% वोट मिल रहे हैं।
सीएनएन का सर्वे...
बिडेन-55%, ट्रम्प-41% वोट, ट्रम्प ने सर्वे वापस लेने को कहा
सीएनएन के सर्वे में भी ट्रम्प को बिडेन से पिछड़ते हुए बताया गया है। 2020 के चुनाव में बिडेन करीब 14% वोटों से आगे दिख रहे हैं। उन्हें 55% वोटर्स ने समर्थन दिया है, जबकि ट्रम्प को सिर्फ 41% ने। सर्वे में ट्रम्प को कोरोना वायरस और अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों मौत के बाद भड़के नस्लवाद के खिलाफ प्रदर्शन से काफी नुकसान हुआ है। डोनाल्ड ट्रम्प ने इस सर्वे को गलत बताते हुए सीएनएन से इस सर्वे को वापस लेने को कहा है, लेकिन सीएनएन ने साफ कर दिया है कि इसे वापस नहीं लिया जाएगा।
2016 में जहां ट्रम्प आसानी से जीते थे, वहां इस बार चुनौती
ट्रम्प के लिए उन राज्यों में ज्यादा चुनौती होगी, जहां से वे 2016 में आसानी से जीते थे। इनमें जॉर्जिया, टेक्सास, ओहिओ और लोवा भी हैं। लेकिन इस बार यहां बिडेन आगे हैं। ट्रम्प के दबदबे वाले फ्लोरिडा और एरिजोना तक में बिडेन मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं। जॉर्जिया को तो इस बार चुनावी युद्ध का सबसे बड़ा मैदान माना जा रहा है क्योंकि यहां के 32% से ज्यादा मतदाता अमेरिकी-अफ्रीकी मूल के अश्वेत हैं।
इनके अलावा हिस्पैनिक 31.2% हैं, इनमें अश्वेत भी हैं। नस्लवाद विरोधी प्रदर्शन के दौरान बिडेन इनकी सहानुभूति हासिल करने में कामयाब रहे हैं। जॉर्जिया में तीन दिन पहले ही प्राइमरी चुनाव में वोटिंग मशीन खराब होने, गायब होने और उनसे छेड़छाड़ का मामला गरमाया था।
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