महाराष्ट्र में कोरोना से एक हजार मौतें, इनमें 60% अकेले मुंबई में हुईं; दुनिया के 198 देशों में इससे कम मरीजों ने जान गंवाई https://ift.tt/2T7MJYx

महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों की मौत का आंकड़ा गुरुवार कोएक हजार के पार हो गया। मुंबई कोरोना का एपिसेंटर बन चुका है, जहां राज्य की 60% मौतें हुईं। महाराष्ट्र में हालात किस तरह बिगड़ रहे हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया के 198 देशों में अभी महाराष्ट्र से कम मरीजों की जान गई है। इन देशों में इजराइल, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, श्रीलंका, शामिल हैं।
इनमें पाकिस्तान ही ऐसा देश है, जिसकी आबादी महाराष्ट्र से ज्यादा है। महाराष्ट्र में 11 करोड़ तो पाकिस्तान में 22 करोड़ लोग रहते हैं। वर्ल्ड कोरोना मीटर के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक दुनिया के 213 देश और आईलैंड कोरोना से प्रभावित हो चुके हैं। इनमें से 24 ऐसे देश हैं, जहां कोरोना की वजह से महाराष्ट्र से ज्यादा लोगों की जान गई है।
98% मौतें अप्रैल और मई में
महाराष्ट्र में संक्रमण का पहला मामला 9 मार्च को सामने आया था। पहली मौत 17 मार्च को हुई थी। संक्रमण के चलते 31 मार्च तक राज्य में 10 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 302 केस सामने आए थे।
इसके बाद संक्रमण इतनी तेजी से फैला कि अप्रैल के पहले हफ्ते में ही देश में सबसे ज्यादा मौतों और संक्रमण के मामलों वाला प्रदेश महाराष्ट्र बन गया। देश के 32% मामले यहीं हैं। 38% मौतें भी इसी राज्य में हुई हैं। मई में मौतों का नया ट्रेंड देखने को मिला। अब हर रोज 50 से ज्यादा लोगों की यहां जान जा रही है।
विशेषज्ञ बोले- दुनिया में सबसे ज्यादा तबाही धारावी में होने का खतरा
एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती धारावी में अब तक कोरोना से 30 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं, जबकि 500 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। दुनिया के बड़े विशेषज्ञों की चिंता है कि अगर यहां संक्रमण पर जल्द से जल्द काबू न पाया गया तो दुनिया में सबसे ज्यादा तबाही यहीं हो सकती है।
स्टेनफॉर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और इबोला के लिए काम करने वालीं डॉ. कृतिका कपाल्ली इस बारे में आगाह कर चुकी हैं। उन्होंने ट्वीट किया था, "मैं इसे लेकर पिछले कई महीनों से चिंतित थी। भारत की बड़ी आबादी और धारावी जैसे स्लम में रहने वालों की बड़ी संख्या की वजह से ये चिंता जायज है। यहां कोविड-19 जंगल की आग की तरह फैल सकता है और अकल्पनीय ढंग से मौत और तबाही ला सकता है।’’
2.6 वर्ग किलोमीटर में 10 लाख लोग रहते हैं
दुनिया के इस सबसे बड़े स्लम में 2.6 वर्ग किलोमीटर इलाके में करीब 10 लाख लोग रहते हैं। यहां 10 बाय 10 फीट का कमरा 8 से 10 लोगों का घर होता है। 73 फीसदी लोग पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करते हैं। किसी टायलेट में 40 तो कहीं 12 और कहीं 20 सीट होती हैं। एक सीट को रोज करीब 60 से 70 लोग इस्तेमाल करते हैं, यानी एक दिन में एक हजार से ज्यादा लोग एक पब्लिक टॉयलेट में आते हैं।
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